शुक्रवार, 28 जून 2013

साप्ताहिक पहेली # 5

नीचे व्यंजन की कुछ श्रृंखलायें हैं, जो एक प्रसिद्ध T .V. विज्ञापन के Tagline  का प्रतिनिधित्व करती  हैं परंतु इन से रिक्त स्थानों  स्वरों  और मात्राओं को हटा दिया गया है ,सभी आधे व्यंजन पूर्ण व्यंजन में  बदल दिए  गए हैं | तो पहचानिए इन विज्ञापन के Taglines को 

उदाहरण के लिए :  चलतकनमगड = चलती का नाम गाडी
  1. डरकगजतह
  2. हसहतक
  3. दगचछह
  4. पहलसतमलकरफरवशवसकर
  5. कछमठहजय 

आपकी सहायता के लिए नीचे कुछ चित्र दिए गए हैं ,जो इन विज्ञापन के Tagline से संबंधित  हैं 


                                

                       

                                                                   
               

बुधवार, 26 जून 2013

आइये जाने #5 जब भारत पहली बार क्रिकेट विश्व चैम्पियन बना

                           

जब भारत पहली बार क्रिकेट विश्व चैम्पियन बना

25 जून 1983. उस दिन शनिवार था. लॉर्ड्स के मैदान पर बादल छाए हुए थे. जैसे ही क्लाइव लॉयड और कपिल देव मैदान पर टॉस करने आए सूरज ने बादलों को पीछे ढकेला और दर्शकों ने ख़ुशी से तालियाँ बजाईं.
कपिल टॉस हारे और लॉयड ने भारत से पहले बैटिंग करने के लिए कहा. एंडी रॉबर्ट्स ने बिग बर्ड जॉएल गार्नर के साथ गेंदबाज़ी की शुरुआत की. राबर्ट्स ने भारत को पहला झटका दिया जब दो के स्कोर पर दूजों ने सुनील गावसकर को कैच कर लिया.

विश्व कप से जुड़े रोचक तथ्य

1. विश्व कप में सबसे धीमी गति से रन बनाने का रिकॉर्ड भारत के लिटिल मास्टर सुनील गावसकर के नाम है, जिन्होंने वर्ष 1975 के पहले विश्व कप में इंग्लैंड के ख़िलाफ़ 174 गेंदों का सामना करते हुए सिर्फ़ 36 रन बनाए थे. जिसमें उन्होंने सिर्फ़ एक चौका मारा था. उस समय 60-60 ओवर का मैच होता था.
2. वर्ष 1996 के विश्व कप में ऑस्ट्रेलिया और वेस्टइंडीज़ ने सुरक्षा कारणों का हवाला देते हुए श्रीलंका में खेलने से इनकार कर दिया. ये दोनों मैच श्रीलंका के हक़ में गए. उसी विश्व कप के सेमी फ़ाइनल में भारत और श्रीलंका के बीच मुक़ाबला हुआ. लेकिन दर्शकों के ख़राब व्यवहार के कारण ये मैच भी श्रीलंका की झोली में गया. हालाँकि श्रीलंका उस समय काफ़ी अच्छी स्थिति में था और उसका जीतना तय था.
3. विश्व कप की शानदार पारियों में से एक 1983 में कपिल देव ने ज़िम्बाब्वे के ख़िलाफ़ खेली थी. उनकी 175 रनों की नाबाद पारी की न वीडियो रिकॉर्डिंग मौजूद है और न ऑडियो कमेंट्री. क्योंकि कैमरामैन हड़ताल पर थे.

....जब भारत ने जग जीता

भारत के बड़े शहरों में जश्न का माहौल था तो गांव में लोग अचानक पटाख़ों का आवाज़ से जाग गए थे, फुलझड़ियां और पटाखों से रात दिन में तब्दील हो गया था. भारत ने इतिहास रचा था काफ़ी जद्दोजेहद के बाद, कुछ आकर्षक पारियों की बदौलत और सब मिलाकर टीम भावना का उसने एक अदभुत नमूना पेश किया था.

तिरंगे ही तिरंगे 

वेस्ट इंडीज़ की अंतिम जोड़ी गार्नर और होल्डिंग स्कोर को 140 तक ले गई लेकिन मोहिंदर ने तय किया कि अब बहुत हो चुका. होल्डिंग के आउट होते ही विश्व कप भारत का था. लॉर्ड्स के ऐतिहासिक मैदान पर चारों तरफ़ दर्शक ही दर्शक थे.
लॉर्ड्स की बालकनी पर कपिल ने शैम्पेन की बोतल खोली और नीचे नाच रहे दर्शकों को सराबोर कर दिया. ड्रेसिंग रूम के माहौल के बारे में मैंने स्वर्गीय राज सिंह डूंगरपुर से पूछा था.
उनका जवाब था, "ऐसा लग रहा था कि कोई शादी हो रही हो. लेकिन शादी में एक दूल्हा होता है लेकिन उस दिन भारतीय ड्रेसिंग रूम में 11 दूल्हे थे. मैं ये कभी नहीं भूल सकता कि भारतीय टीम को बधाई देने उसके ड्रेसिंग रूम में पूरी वेस्ट इंडीज़ की टीम आई सिवाए उनके चार फ़स्ट बॉलर्स के. उन्हें दुख इस बात का था कि उन्होंने तो अपना काम कर दिया दिया था लेकिन धुरंधर बल्लेबाज़ों के होने के बावजूद वेस्ट इंडीज़ की टीम 184 रन भी नहीं बना पाई."
भारतीय क्रिकेट के इतिहास का ये सबसे सुनहरा क्षण था. उस समय लॉर्ड्स के मैदान पर तिरंगे ही तिरंगे थे.
कीर्ति आज़ाद याद करते हैं, "आप मुझसे विश्व कप की बात कर रहे हैं और वह दृश्य बिल्कुल मेरे सामने आ गया है. मेरे शरीर में सिहरन दौड़ रही है और मेरे रोंगटे खड़े हो रहे हैं. वो एक ऐसा अनुभव था जो मैं अपने जीवन में शायद कभी भी नहीं पा सकूँगा. कोई भी इंसान किसी भी खेल को खेले वो चाहता है कि वो इसके शिखर तक पहुँचे. वो दृश्य अभी भी मेरे सामने है कि हज़ारों प्रवासी भारतीय तिरंगे झंडे ले कर सामने खड़े हैं. ये एक ऐसा अनुभव है जिसे मैं शब्दों में बता नहीं सकता महसूस ज़रूर कर सकता हूँ."


सोमवार, 24 जून 2013

आपकी कलम से #5 "मेरा गाँव"

                                                                        


बड़ा भोला बड़ा सादा बड़ा सच्चा है                                                              
तेरे शहर से तो मेरा गाँव अच्छा है                                             

वहां मैं मेरे बाप के नाम से जाना जाता हूँ
और यहाँ मकान नंबर से पहचाना जाता हूँ

वहां फटे कपड़ो में भी तन को ढापा जाता है
यहाँ खुले बदन पे टैटू छापा जाता है

यहाँ कोठी है बंगले है और कार है
वहां परिवार है और संस्कार है

यहाँ चीखो की आवाजे दीवारों से टकराती है
वहां दुसरो की सिसकिया भी सुनी जाती है

यहाँ शोर शराबे में मैं कही खो जाता हूँ
वहां टूटी खटिया पर भी आराम से सो जाता हूँ

यहाँ रात को बहार निकलने में दहशत है

मत समझो कम हमें की हम गाँव से आये है
तेरे शहर के बाज़ार मेरे गाँव ने ही सजाये है

वहाँ इज्जत में सर सूरज की तरह ढलते है
चल आज हम उसी गाँव में चलते है
............. उसी गाँव में चलते है !





साप्ताहिक पहेली # 4 उत्तर

उत्तर
1. मेरे पास माँ है।  
2. अरे सांभा!, कितने आदमी थे?  

3. रिश्ते में तो हम तुम्हारे बाप लगते हैं; नाम है शहंशाह। 

4. डॉन का इंतज़ार तो ग्यारह मुल्कों की पुलिस कर रही है।  

5. बड़े बड़े शहरों में ऐसी छोटी छोटी बातें होती रहती हैं।


इस सप्ताह सही उत्तर दिया है :



1    .    अजीत मीणा
2    .    कैलाश जाखड़
3    .     नैमिष पाटीदार 
4    .     Dheerendra Rathor 
5    .    Manish Kumar
6   .    Tanmay Srivastava 



शुक्रवार, 21 जून 2013

आइये जाने #4 केदारनाथ धाम की यात्रा अब तीन साल तक संभव नहीं

केदारनाथ में सेलाब ने ऐसी तबाही मचाई है कि वहां के हालात ठीक होने में कई साल लग जाएंगे। इसलिए यह आशंका जताई जा रही है कि चार धामों में से एक केदारनाथ की यात्रा अब भक्‍तगण दो-तीन साल बाद ही कर पाएंगे।
अब केदारनाथ की धार्मिक यात्रा का पुण्‍य राज्य सरकार के सूत्रों का कहना है कि केदारनाथ यात्रा दोबारा शुरू होने में दो से तीन साल का वक्‍त लग सकता है। सरकारी अधिकारियों के मुताबिक केदारनाथ परिसर को भारी नुकसान पहुंचा है। वहां आई बाढ़ ने उस पूरे इलाके को गाद, मलबे और पत्‍थरों से पाट दिया है। इसके कारण वहां बने बहुत से मकान, होटल और दुकाने जमींदोज हो चुके हैं। यहां तक कि सड़क का नामोनिशान तक नहीं बचा है।
उत्‍तराखंड में हुई इस तबाही की वजह से कई गांव शेष देश से कट चुके हैं। ऐसे गांवों तक पहुंचने में राहत और बचाव दलों को दो-तीन हफ्ते का वक्‍त लग सकता है। कई गांव पूरे बह चुके हैं और अब सिर्फ निशान बचे हैं। अधिकारी यह बताने को तैयार नहीं हैं कि इस तबाही में कुल कितने लोग मारे गए हैं, क्योंकि ऐसे कई प्रभावित इलाके हैं, जहां तक बचाव दल अभी पहुंचा ही नहीं है।
केंद्र सरकार की ओर से उत्‍तराखंड को राहत पैकेज के रूप में एक हजार करोड़ रुपए की आर्थिक मदद दी गई है। प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और यूपीए अध्‍यक्ष सोनिया गांधी ने भी आज उत्‍तराखंड का हेलिकॉप्‍टर के जरिए सर्वे किया और पाया कि यहां की स्थिति बहुत खराब है।
केदारनाथ के आसपास का इलाका बिलकुल तबाह हो गया है। अब यहां सबकुछ पहले जैसा करने के लिए काफी समय लगेगा, तब तक इस धाम पर भक्‍तों का पहुंचना बहुत कठिन है।

साप्ताहिक पहेली # 4


नीचे व्यंजन की कुछ श्रृंखलायें हैं, जो एक प्रसिद्ध फ़िल्मी संवाद (Dialogue) का प्रतिनिधित्व करती  हैं परंतु इन से रिक्त स्थानों  स्वरों  और मात्राओं को हटा दिया गया है ,सभी आधे व्यंजन पूर्ण व्यंजन में  बदल दिए  गए हैं और इन में कुछ बदलाव किये गए हैं | तो पहचानिए इन फ़िल्मी संवादों को 

उदाहरण के लिए :  चलतकनमगड = चलती का नाम गाडी


  1. मरपसमह
  2. रसमभकतनदमथ 
  3. रशतमहमतमहरबपलगतहनमहशहशह 
  4. डनकतजरतगयरहमलककपलसकररहह 
  5. बड़बड़शहरमसछटछटबतहतरहतह 

आपकी सहायता के लिए नीचे कुछ चित्र दिए गए हैं ,जो इन फ़िल्मी संवादों से संबंधित  हैं | 





उत्तर iitbvaani1@gmail.com पर भेजें (Comment में उत्तर Post न करें )
सही उत्तर और विजेताओं की घोषणा रविवार को की जाएगी 
हिंदी में type करने के नीचे दिए हुए links का प्रयोग करें
http://www.google.co.in/inputtools/cloud/try/

सोमवार, 17 जून 2013

आपकी कलम से #4 राजनेताओं का चरित्र

राजनेताओं का चरित्र

मौकापरस्ती तो हमारा हुनर है । और जब बात राजनेताओं की हो तो थाली के बैगन कहावत एकदम सटीक सिद्ध होती है । दल बदलू कानून के आने से पहले तो मानो राजनीति अवसरवाद का ही अखाड़ा थी । सब अपनी-अपनी झोली भरें ,विचारधारा जाये तेल लेने ।

काका ऐसे मिथ्या चरित्र वालो का खूब मज़ाक उड़ाते थे । आज काका की हास्यमाला का
एक पुष्प समर्पित है पाठकों को उस कविता के रूप में जो इसी भाव को सामने लाती है , शीर्षक है -" आई में आ गए " ।
ये कविता उनकी सर्वाधिक जनप्रिय कविताओं में से एक है -


सीधी नजर हुयी तो सीट पर बिठा गए।
टेढी हुयी तो कान पकड कर उठा गये।

सुन कर रिजल्ट गिर पडे दौरा पडा दिल का।
डाक्टर इलेक्शन का रियेक्शन बता गये ।

अन्दर से हंस रहे है विरोधी की मौत पर।
ऊपर से ग्लीसरीन के आंसू बहा गये ।

भूखो के पेट देखकर नेताजी रो पडे ।
पार्टी में बीस खस्ता कचौडी उडा गये ।

जब देखा अपने दल में कोई दम नही रहा ।
मारी छलांग खाई से "आई" में आ गये ।

करते रहो आलोचना देते रहो गाली
मंत्री की कुर्सी मिल गई गंगा नहा गए ।

'काका' ने पूछा 'साहब ये लेडी कौन है'
थी प्रेमिका मगर उसे सिस्टर बता गए ।

- काका हाथरसी

साप्ताहिक पहेली # 3 उत्तर

पहेली


  1. बपछतहतकयजबचड़यचगगखत
  2. घरकभदलकढ
  3. जसकलठसकभस
  4. ससनरककलहरक
  5. तभलतसबभल

उत्तर

1. अब पछताए होत क्या जब चिड़िया चुग गई खेत 
2. घर का भेदी लंका ढाए 
3. जिसकी लाठी उसकी भैंस 
4. सौ सुनार की एक लुहार की 
5. अंत भला तो सब भला 

इस सप्ताह सही उत्तर दिया है :
1.अमित कुमार
2.कैलाश जाखड़ 
3.दिव्य आलोक निर्मल 
4.धीरेन्द्रा  राठोर 
5.नैमिष पाटीदार
6.आदर्श  कपूर
7.तन्मय श्रीवास्तव
8.वैष्णवी एस
9.अनुराग श्रीवास्तव
10.ज्योत आंटानी
11.तुषार श्रीवास्तव
12.अश्विनी कुमार जानू
13.अविजित आर्या
14.अभिषेक तिवारी
15.राहुल रोकडे
16.प्रशांत झा
17.शुभम जंगीर


शुक्रवार, 14 जून 2013

साप्ताहिक पहेली # 3


नीचे व्यंजन की कुछ श्रृंखलायें हैं, जो एक प्रसिद्ध कहावत का प्रतिनिधित्व करती  हैं परंतु इन से रिक्त स्थानों  स्वरों  और मात्राओं को हटा दिया गया है और  सभी आधे व्यंजन पूर्ण व्यंजन में  बदल दिए  गए हैं | तो पहचानिए इन कहावतों को 

उदाहरण के लिए :  चलतकनमगड = चलती का नाम गाडी

  1. बपछतहतकयजबचड़यचगगखत
  2. घरकभदलकढ
  3. जसकलठसकभस
  4. ससनरककलहरक
  5. तभलतसबभल

आपकी सहायता के लिए नीचे कुछ चित्र दिए गए हैं ,जो इन कहावतों से संबंधित  हैं | 



                                                              

सोमवार, 10 जून 2013

आपकी कलम से #3 आए बादल और बूँदों की भागादौड़ी


आए बादल 
आसमान पर छाए बादल
बारिश लेकर आए बादल
गड़-गड़, गड़-गड़ की धुन में 
ढोल-नगाड़े बजाए बादल
बिजली चमके चम-चम, चम-चम
छम-छम नाच दिखाए बादल
चले हवाएँ सन-सन, सन-सन
मधुर गीत सुनाए बादल
बूँदें टपके टप-टप, टप-टप
झमाझम जल बरसाए बाद ल
झरने बोले कल-कल, कल-कल
इनमें बहते जाए बादल
चेहरे लगे हँसने-मुसकाने 
इतनी खुशियाँ लाए बादल 
ओमप्रकाश चोरमा 'किलोलीवाला'


बूँदों की भागादौड़ी

बूँदें भागी, बूँदें दौड़ी
निकली है बनठन के देखो 
छाते और मुनिया की जोड़ी
बादल भरकर आए कहाँ से 
यहाँ पे आके चुप्पी तोड़ी 
मौसम है यह ठंडा-ठंडा
आओ खाएँ गरम कचौड़ी
मुझे ऐसा लगा अभी कि
बूँदें भागी, बूँदें दौड़ी ...
कपिल

साप्ताहिक पहेली # 2 उत्तर


पहेली

  1. जनबचतलखपलटकबदधघरक
  2. धबककततनघरकनघटक
  3. कमकनकजकदशमननजक
  4. जबगदडकमततहतबवहशहरकरभगतह
  5. घरकमरगदलबरबर


 उत्तर 

    1. जान बची तो लाखों पाए लौट के बुद्धू  घर को आए | 
    2. धोबी का कुत्ता न घर का न घाट का | 
    3. काम का न काज का दुश्मन अनाज का | 
    4. जब गीदड़ की मौत आती है तब वह शहर की ओर भागता है | 
    5. घर की मुर्गी दाल बराबर |


इस सप्ताह के विजेता हैं :

1. अमित कुमार 
2. कैलाश जाखड़ 
3. शक्ति शर्मा 

रविवार, 9 जून 2013

सुहानी बरसात

स्कूल से भागते दोढ़ते घर को आते
बैग फेक, वापस भीगने जाते!
माँ पीछे से पकड़ने आती,
और अच्छी वाली फटकार लगाती!
उस फटकार को मे आज भी याद करता हू
वेसी ही सुहानी बरसात की मे आस करता  हू
जिद करके पकोड़े बनवाते,
और बहन के हिस्से का भी खा जाते!
फिर शुरू करती वो रोना,
और बोलती ”माँ! भैया को देखो ना!”
उसे चिढ़ाने को मे आज भी याद करता  हू
वेसी ही सुहानी बरसात की मे आस करता  हू
जब भीगने से लग जाती थी सर्दी,
माँ पिलाती थी दूध मिला के हल्दी!
हम आनाकानी करते उसे पीते थे,
क्योकि माँ की प्यार भरी डांट से डरते थे!
उस प्यार भरे दूध को मे आज भी याद करता हू,
वैसी ही सुहानी बरसात की मे आस करता हू
                                                     -अर्नव पूरी 

शुक्रवार, 7 जून 2013

साप्ताहिक पहेली # 2


नीचे व्यंजन की कुछ श्रृंखलायें हैं, जो एक प्रसिद्ध कहावत का प्रतिनिधित्व करती  हैं परंतु इन से रिक्त स्थानों , स्वरों  और मात्राओं को हटा दिया गया है और  सभी आधे व्यंजन पूर्ण व्यंजन में  बदल दिए  गए हैं | तो पहचानिए इन कहावतों को 

 उदाहरण के लिए :  चलतकनमगड = चलती का नाम गाडी

  1. जनबचतलखपलटकबदधघरक
  2. धबककततनघरकनघटक
  3. कमकनकजकदशमननजक
  4. जबगदडकमततहतबवहशहरकरभगतह
  5. घरकमरगदलबरबर

बुधवार, 5 जून 2013

आइये जाने # 2 विश्व पर्यावरण दिवस

विश्व पर्यावरण दिवस संयुक्त राष्ट्र द्वारा सकारात्मक पर्यावरणकार्य हेतु दुनियाभर में मनाया जाने वाला सबसे बड़ा उत्सव है। पर्यावरण औरजीवन का अन्योन्याश्रित संबंध है तथापि हमें अलग से यह दिवस मनाकर पर्यावरणके संरक्षण, संवर्धन और विकास का संकल्प लेने की आवश्यकता पड़ रही है। यहचिंताजनक ही नहीं, शर्मनाक भी है। पर्यावरण प्रदूषण की समस्या पर सन् 1972 में संयुक्त राष्ट्र संघ ने स्टाकहोम (स्वीडन) में विश्व भर के देशों कापहला पर्यावरण सम्मेलन आयोजित किया। इसमें 119 देशों ने भाग लिया और पहलीबारएक ही पृथ्वी का सिद्धांतमान्य किया। इसी सम्मेलन में संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (UNEP)का जन्म हुआ तथा प्रति वर्ष 5 जून को पर्यावरण दिवस आयोजित करके नागरिकों को प्रदूषण की समस्या से अवगत कराने का निश्चय किया गया। तथा इसका मुख्य उद्देश्यपर्यावरण के प्रति जागरूकता लाते हुए राजनीतिक चेतना जागृत करना और आम जनताको प्रेरित करना था। उक्त गोष्ठी में तत्कालीन प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी ने 'पर्यावरण की बिगड़ती स्थिति एवं उसका विश्व के भविष्य पर प्रभाव' विषय पर व्याख्यान दिया था। पर्यावरण-सुरक्षा की दिशा में यह भारत का प्रारंभिक क़दम था। तभी से हम प्रति वर्ष 5 जून को विश्व पर्यावरण दिवस मनाते आ रहे हैं।

दुनिया में सबसे तेजी से बढ़ रही अर्थव्यवस्थाओं में से एक,भारत हरित अर्थव्यवस्था बनने का प्रयास कर रहा है। नए सर्वेक्षण में खुलासा हुआहै कि भारतीय लोग आर्थिक वृद्धि पर पर्यावरण रक्षा को मामूली रूप सेप्राथमिकता देते हैं। अमेरिका की प्रमुख सर्वेक्षण एजेंसी गैलपने अपने ताजा सर्वेक्षण में कहा किज़्यादातर आबादी अर्थव्यवस्था से ज़्यादा पर्यावरण पर ध्यान केंद्रित किएहुए हैं। गैलप की मानें तो भारत ने वैश्विक भूभाग पर हरित क्षेत्र कोबढ़ाने के उल्लेखनीय प्रयास किए हैं। इसकी एक बानगी राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली है, जहाँ हाल के वर्षो में हरित क्षेत्र में वृद्धि दर्ज की गई है। दिल्लीका लगभग 20 फीसदी हिस्सा वनों से ढका हुआ है। सरकार ने अगले कुछ सालों में इसे बढ़ाकर 25 फीसदी करने का लक्ष्य रखा है।